WHAT DOES BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA MEAN?

What Does baglamukhi shabhar mantra Mean?

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इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है

प्रेतस्थां बगला-मुखीं भगवतीं कारुण्य-रूपां भजे ।।

यदि आप माँ बगलामुखी साधना के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो नीचे दिये गए लेख पढ़ें –

प्रत्यालीढ-परां घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् । खर्वां लम्बोदरीं भीमां, पीताम्बर-परिच्छदाम् ।।

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योषिदाकर्षणे शक्तां, website फुल्ल-चम्पक-सन्निभाम् ।

शत्रु को दण्ड देना

Another stunning characteristic on the temple architecture may be the dancing Lord Ganesh and also the Jaladhara pictures to the partitions with the temple.

पीताम्बर-धरां सान्द्रां, पूर्ण-चन्द्र-निभाननाम् ।

अर्थात् सुवर्ण जैसी वर्णवाली, मणि-जटित सुवर्ण के सिंहासन पर विराजमान और पीले वस्त्र पहने हुई एवं ‘वसु-पद’ (अष्ट-पद/अष्टापद) सुवर्ण के मुकुट, कण्डल, हार, बाहु-बन्धादि भूषण पहने हुई एवं अपनी दाहिनी दो भुजाओं में नीचे वैरि-जिह्वा और ऊपर गदा लिए हुईं, ऐसे ही बाएँ दोनों हाथों में ऊपर पाश और नीचे वर धारण किए हुईं, चतुर्भुजा भवानी (भगवती) को प्रणाम करता हूँ।

योगिनी-कोटि-सहितां, पीताहारोप-चञ्चलाम् ।

The temple is built during the Chalukyan era and is Obviously inscribed in stones which belong for the twelfth century during the Unkal village. The temple is built in black granites. It's got alluring sculptures and captivating carving that attracts numerous artwork lovers to the temple.

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